शनिवार, 10 अप्रैल 2010

सई नदी के पानी माँ लोहा नाहीं फौलाद अहई ........!

बम्बयिऔ मा हम खूब रहे
न्यू योर्क म मनई एस जीए
मुल पावा सुख मरुआनेन मा       ( मरुआन ,हमार गाँव ,तहसील रानीगंज ,प्रतापगढ़ यू पी )
बाकी दुनियां सब घूमि लिहे .

अमरीकन से हम खूब लड़े
चमड़ी का रंग भुलाई गयेन
करियन का सब समझाई देहे
सम्मान देहे अपनाई लिहे

वेस्ट  इंडीज़ जवन सब जान्थैन
वमहूँ मा आपन माटी बा
वमहूँ मा अप्ने मनई सब
' फगुआ ' का रंग जमाई देहे

केऊ अऊर कबहु केवु मिलिन गवा
बेल्हा का 'रंग ' जमाई देहे
भुलिहयीं न सई के पानी मा
लोहा नहीं फौलाद अहई
सब कुछ ओनका समझाई देहे
बस थोरई मा बतलाई  देहे

रगरा  झगरा से दूर रहे
अपने कामई मा चूर रहे
हर मनई का सम्मान किहे
हर मनई से सम्मान लिहे

अब बूढ भये बीमार तवन
हाथे से लड़े पचीसन भा        ( पचीसन साल )
लेकिन एकठी वाकिया भवा
खुद अपुनौं का पहिचान लिहे

दिल्ली से उड़े बम्बई मा
होई रात गयी दुई तीन बजे
एक लिहे टेक्सी घरे बरे
सत्तार मियां चालक थे सजे

(आगे जारी ...... ई इक घटना पा आधारित बा जेहिमा राज ठाकरे का इक चेला टकराई गवा कुछ दिन पहिले बम्बई माँ .)  






 









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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

" हम न मरब मरिहै संसारा......."

'' फईज़ाबाद कै कबीर मना जाय वाले ''

" हम न मरब, मरिहै संसारा......."  की  तरह  जिये वालै

अवधी भाखा कै सुनाम-धन्न महान कवी

*'रफ़ीक शादानी '*

आखिरकार संसारा छोडै गए ''  

{ अज्ञात _ तिथि - माह - 1933 :: 2 - फरवरी - 2010 }
               
जन्म   तिथि अज्ञात  1933 ईo  मा   बर्मा कै [ आज कै  म्यांमार ]  एक अत्तार इमाम दीन के घर मा  एक  फूल जनमा , जौन   अवध  कै   जमीन  मा  जमावे  केबाद  जब  हियां यानि  'अवध  इलाका '  कै हवा-पानी -खाद पाइस तओ   आगे  चल कै '' अवधी भाखा '' कै खुसबू दूर-दूर तलक एस
 
फैलाइस  कि    अच्छे - अच्छे   उनके  मुरीद  हुई  गय | cccccccccccccccccccccccccccccccccc                cccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccc
 कहै का ' रफ़ीक 'भाई  हसोड़  कवी /शायर   माना   जात   रहे होंय ,  पर  हर बात  का  हंसी- ठिठोली  मा   उड़ाय  देय कै  ई   गुन ,  सायद  उनमा   अपनै  जिनगी  कै परेसानियन,
 
:: एकै भाई  रहा  ऊ  अउर  दुई  लड़कन  मा एक लड़का  

दुइनो  चला गयें  अउर  रोज़ी-रोटी  कै  वासते  रोजै   

जूझब ::  
 आदि  कै मुकाबिला    करत-करत  पनप  गय
 
अउर   ' सदानी ' भाई  उहै  का  आपन  ताकत 

आपन औजार / हथियार   बनाय  लिहिन | cccc
 अक्सर  --- 
    ' गय जवानी  खेल ख़तम ',
             
     ' बुझ गय बाती  जौ तेल ख़तम '|

 " कहत-कहत   '' रफ़ीक  शादानी, वल्द 

इमामदीन    साकिन _ मुमताज नगर,

फईज़ाबाद,  उत्तरप्रदेस,  भारत,"

" ईस्वी सम्वत  2010   माह फरबरी 

तिथि  9 , का  खेला  ख़तम  कर , चिराग

कै बाती  बुझाय कै चल दिहिन |" 
 [ 12 -फरबरी - 2010   द्वारा  कबीरा  ]
  ff
  12
    उदय u


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रविवार, 23 अगस्त 2009

'' तुलसी जयन्ती 2009 ''


'तुलसी जयन्ती 2009
अजुध्या
[२९-जुलाई -२००९ ]
[अयोध्या ,फईजाबाद ]
~~~~~~~~~ राम जी कै नगरी अजुध्या मा "अयोध्या शोध संस्थान '' अउर ''अखिल भारतीय अवधी संस्थान लखनऊ '' कै दवारा '' गोस्वामी तुलसी दास '' जी कै इस्मिरिती दिवस धूम-धाम से '' तुलसी स्मारक भवन अयोध्या '' मा ''सांस्कृतिक विभाग उत्तर-प्रदेश शासन '' के सहयोग से मिल कै मनावा गै |
जेहमा अवधी कै आठ कबियन अउर रचनाकारन का ''तुलसी स्मृति सम्मान चिन्ह '' दिहा गयै |समारौह कै अधक्छता '' अखिल भारतीय अवधी संस्थान लखनऊ '' के अधक्छ ''सिरी जगदीश पियूष '' अउर सगरे कारकरम कै सन्चालन '' सिरी सरवेश अस्थाना (लखनऊ ) ''के दवारा किहिन गै |
एहमा मान पावे वाले अवधी कै कबियन मा ''सरव सिरी रफीक सदानी (फईज़ाबाद ),सिरी यातिंदर मिसिर (अजुध्या ),सिरी ज़ाहिल सुल्तानपुरी , सिरी कुवँर आलोक (सीतापुर ) , सिरी फारूक़ सरल (लखीमपुर ), सिरी राम किशोर तिवारी (बाराबंकी ), सिरी असोक अग्यानी (रायबरेली ), सिरी आदित्य द्विवेदी (लखन ) रहिन ;
'' इन सभै का पटका ,परसस्ति-पतर अउर इस्मिरित-चीन्हा [ ट्राफी ] दैके समानित किया गयै |''
समारौ मा मुख-अतिथी '' डा. सम्पूर्णानंद  संस्कृत विश्वविद्यालय '' कै पूर्ब 'कुलपति ' डा राज देव मिसिर रहिन |डा साहेब अवधी बोली कै बखान मा हियाँ ले कह डालिन कि अगर आज भारती संसकिरिति के अस्मिता कायम बा तो उह 'अवधी अउर भोजपुरियै कै वज़ह से बची बाटे | तुलसी जी कै 'राम चरित मानस ' केवल अवधी केर धारमिक गिरन्थै बाटे तो '' रास्टरीय- गिरन्थ '' आए |


एकरा बाद मा अवधी कबी समेलन भवा , जेह के सुरुआत परसिध कबी सिरी ' दया नन्द सिंह 'मृदुल ' (फईज़ाबाद) सुरसती माई के बन्दना '' बीना-पानि तोहरी करित हम बन्दना '' से किहिन अउर ओके बाद मा बदरा कै मनुहार करत आपन रचना 'आइकै बरसि जा बदरिया ' सुनाइन |
तब रफीक़ सादानी ' जब से आवा ईलू ईलू ,तुलसी कै चौपाई गय ' सुना कै दरसक स्रोताउन का खूब व्यंग बताइन | कबी दरबार मा सिरी अनिल सिंह बौझड़ , सिरी विनोद मिसिर , सिरी जमुना परसाद उपधिया , सिरी तारा चन्द तनहा , सिरी अशोक टाटम्बरी अउर सिरीमती राधा पांडे आपन - आपन रचना सुनाये कै खूब ववाही लूटिन |

सगरे समारौ के खासियत रही कि पूर कै पूर कारकरम महज अवधीये मा रहा चाहे सन्चालन रहा होय चाहे मुख-अतिथी कै भासन या समापन भासन रहा होय
आख़िर मा कारकरम कै समापन ''निदेशक अयोध्या शोध संस्थान '' सिरी डा वाई पी सिंह आपन धन्यबाद भासन से किहिन |

रिपोर्टिंग आलेख : श्री दयानन्द सिंह 'मृदुल'
मोबाईल - 09452650581
[ सम्पादन : समर जीत सिंह ' रतन ']
मोबाइल -09026382831 / 09208494625
रफ़ीक भाई  के मज़ा  आपौ लूटा                                                                                                                     
 







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रविवार, 12 जुलाई 2009

" सुनो ध्यान लगाय जो रहा ''बताऊँ "

"हाय-बताऊँ "


कहत कबीरा सुनो भाई साधो ,

छोड़ कमंडल लकुटिया माला ,

सुनो ध्यान लगाय जो रहा ''बताऊँ'',

दरबारे अकबरी रहा बैठा -ठाला,

मुग़ल--आज़म चढ़ तख्त बैठल उदास ,

भूला रहे सबै दरबारी लेहऊँ स्वास ,

बस अकबरै भरें -रह निस्वास ,

कहैं कहाँ हौ बीरबल जल्दी आवा पास,

जल्दी आवा पास और नाही कौनो आस,

वैद हकीम ज्ञानी ओझा गुनिया सबै हेराने,

दरबार परवेसे बीरबल तभई,

झुक-झुक किहिन हाकिम का अदब-जुहार ,

अबहिन तक रहेओ कहां लगी डपट फटकार,

लगी डपट फटकार ,फ़िर किहिन अदब-जुहार ,

बोले बीरबल हाल इह किहिस ''बताऊँ''हुजुर सरकार,

आज पालकी चढ़ हियाँ आयेन पहली बार ,

राहे दीन्ही लीन्ही कोऊ कै कई राम-जुहार ,

हमार पूछौ बस कैसन हाल रहा हुजुर सरकार ?

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[अन्तराल : अंतराल : अंतराल ]
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रविवार, 28 जून 2009

बरस गयी बरस गयी रे बदरिया ,

बरस गयी बरस गयी रे बदरिया ,
कमरे माँ बैठब ऐसै ही रहा मुहाल,
बिजुरी जाय के बाद कै तौ पूछौ न हाल,
पंखौ गरम-गरम भपका मारे ड्रैगन के नाय ||
खुला कम्प्यूटर जो वोल्टेज लायी बिजुरिया,
चलै लाग की-बोरड पै फटाफट अंगुरिया ,
काओ लिखी सोचत बैठा रहेन खुजात खोपडिया,
फिर सोचेन लिखडाली इक पाती मा हाल गुजरिया||
बडन रामजुहार लिखेन,गेदाहरन दुलार लिखेन,
गरमी मा गेदाहरन संग मैइके बैठी उनका......?लिखेन,
मुस्तफा भाईयो गुज़र गए,मनी गए जयराम गए ,
जाने केकै बरी बा बचपन से पचपन तक कै साथी तमाम गए ||
मन उदास बा जल्दी आवा अचार कटहल भरवा-मिरचा लावा ,
तुहार हाल का बा ,गेहूं सरसों अच्छा-सस्ता पावा लदाय लावा ,
पैसा भेजाए देब घर कै घिउ जुगाड़ होए पाच किलो लेत आवा ,
कुछ होए या नहोए मन उदास बा तू जल्दी से जल्दी आवा ||
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शुक्रवार, 30 जनवरी 2009

" आपन जिल्ला फईजाबाद "

" गुरुद्वारा "ब्रह्मकुण्ड"
अबकी हम आपका फईजाबाद कै बारे मा कुछे औरो जनकरियो देत हई ....
जिल्ला फईजाबाद मा पांच ठो ' तहसील ' - सदर ,-बीकापुर ,- मिल्कीपुर ,-सोहावल , - रुदौली , औउर
गियारा[ग्यारा=११] बिलाक [विकास खण्ड]
- माया-बाज़ार, - पूरा-बाज़ार ,-तारून, - हरन्ग्टीन गंज ,-मिल्कीपुर ,-बीकापुर, -मसौधा, -सोहावल, -अमानीगंज [खंडासा], १०- रुदौली, ११- मवई , बाटे
लखनौउ बिधानसभा के नईकी हदबंदी [परिसीमन] मा जिल्ला फईज़ाबाद पांच एमेले सीट मा बटिबा
; निचुआ देखा लिस्ट बनी बाटी ::---
क्रमांकनाम-विधानसभा[वि०स०]वि०स०पहचान-नंबरकुलमरद-वोटर[म०वो०] कुल मेहरारू-वोटर[मे०वो०]कुलै के जोड़[वि०स०में कुलैवो०]
1रुदौली२७११४२३१८१२५६८४२६८००२
2.मिल्कीपुर[सुरक्षितअ०जाति]
२७३
१५९७२४१४१४३३०११५४
3.बीकापुर२७४ १६६९७११४७०३८३१४००९
4.अयोध्या२७५१६५७७३१४००४३३०५८१६
5.गोसांईगंज२७६१७५०१३१५३५८४३२८५९७
6जिल्ला फईजाबाद के पांचौ वि०स०मा कुलैवोटरन कै जोड़ ८०९७९९७०७७७९१५१७५७८

ऊपर दिहिन सभै गिन्तिया आखिरी नाही बाटे एहमन बदलाव हुई सकत है
जिल्ला मा दुई ठो इनवरसिटी .- राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय ,जौन सहर के दक्खिन ,सहर से निकसते है , . दुसरकी, आचार्य नरेंदर देव किरसी विस्विदयालय ,सहर के दक्खिनै ४२ किलोमीटर दूर 'कुमारगंज' मा बाटे |
''पंचन का ऐसे जनकारी चिटठा ''अवध-प्रवास'' पै मिलत रहियै ''


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गुरुवार, 8 जनवरी 2009

' काहे दुखा पहुँचावत हौ ''


कनक भवन
बहुत अगोरेन तबै इयु दुसरकनी पोस्ट लिखै खातिर मज़बूर हुई गयेन ! का बाबू साहेब स्व० राम चंदर सिंह माया -बाज़ार ,फैजाबाद के बाद कोई एस नाही रह गए की ओकरे का ' आपन बोली भाखा से तनिकौ परेम होए ? चलो हम तो मान सकित है कि अवध कै इयु एरिया माँ गरीबी जियादा बाटे , पै हमनी का मालुम बाटे कि अवध परिछेतर कै बहुतै लोगे दूर-दूर तलक बहुतै उचै-उचै पदै पेया दूर परदेस मा हैइन और राम जी किरपा से सछमौ हैइन , का लोगन मा एक्कौ कै नजर हमार गोहार पै पड़ी हुईहे ?
कोसिस तो करा ,ऐसेन लोगन का ढूढे का ,अउर उनके लेख ,विचार लिखाये कै भेजा ,भासा सुधारे कै ज़रुअत पडिहे तो ओहू कै परबनध किया जहीये || वैसे बाराबंकिहो,[पुरबी-दखिनी ] लकनौउहो [पुरबी ] प्रताप गढ़ [उत्तरी] भी चली | पंचन कै टिपनी केर इंतिजार मा आपे कै .......,.>
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