रविवार, 28 जून 2009

बरस गयी बरस गयी रे बदरिया ,

बरस गयी बरस गयी रे बदरिया ,
कमरे माँ बैठब ऐसै ही रहा मुहाल,
बिजुरी जाय के बाद कै तौ पूछौ न हाल,
पंखौ गरम-गरम भपका मारे ड्रैगन के नाय ||
खुला कम्प्यूटर जो वोल्टेज लायी बिजुरिया,
चलै लाग की-बोरड पै फटाफट अंगुरिया ,
काओ लिखी सोचत बैठा रहेन खुजात खोपडिया,
फिर सोचेन लिखडाली इक पाती मा हाल गुजरिया||
बडन रामजुहार लिखेन,गेदाहरन दुलार लिखेन,
गरमी मा गेदाहरन संग मैइके बैठी उनका......?लिखेन,
मुस्तफा भाईयो गुज़र गए,मनी गए जयराम गए ,
जाने केकै बरी बा बचपन से पचपन तक कै साथी तमाम गए ||
मन उदास बा जल्दी आवा अचार कटहल भरवा-मिरचा लावा ,
तुहार हाल का बा ,गेहूं सरसों अच्छा-सस्ता पावा लदाय लावा ,
पैसा भेजाए देब घर कै घिउ जुगाड़ होए पाच किलो लेत आवा ,
कुछ होए या नहोए मन उदास बा तू जल्दी से जल्दी आवा ||
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