"हाय-बताऊँ "
कहत कबीरा सुनो भाई साधो ,
छोड़ कमंडल लकुटिया माला ,
सुनो ध्यान लगाय जो रहा ''बताऊँ'',
दरबारे अकबरी रहा बैठा -ठाला,
मुग़ल-ए-आज़म चढ़ तख्त बैठल उदास ,
भूला रहे सबै दरबारी लेहऊँ स्वास ,
बस अकबरै भरें -रह निस्वास ,
कहैं कहाँ हौ बीरबल जल्दी आवा पास,
जल्दी आवा पास और नाही कौनो आस,
वैद हकीम ज्ञानी ओझा गुनिया सबै हेराने,
दरबार परवेसे बीरबल तभई,
झुक-झुक किहिन हाकिम का अदब-जुहार ,
अबहिन तक रहेओ कहां लगी डपट फटकार,
लगी डपट फटकार ,फ़िर किहिन अदब-जुहार ,
बोले बीरबल हाल इह किहिस ''बताऊँ''हुजुर सरकार,
आज पालकी चढ़ हियाँ आयेन पहली बार ,
राहे न दीन्ही न लीन्ही कोऊ कै कई राम-जुहार ,
हमार पूछौ न बस कैसन हाल रहा हुजुर सरकार ?
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[अन्तराल : अंतराल : अंतराल ]
छोड़ कमंडल लकुटिया माला ,
सुनो ध्यान लगाय जो रहा ''बताऊँ'',
दरबारे अकबरी रहा बैठा -ठाला,
मुग़ल-ए-आज़म चढ़ तख्त बैठल उदास ,
भूला रहे सबै दरबारी लेहऊँ स्वास ,
बस अकबरै भरें -रह निस्वास ,
कहैं कहाँ हौ बीरबल जल्दी आवा पास,
जल्दी आवा पास और नाही कौनो आस,
वैद हकीम ज्ञानी ओझा गुनिया सबै हेराने,
दरबार परवेसे बीरबल तभई,
झुक-झुक किहिन हाकिम का अदब-जुहार ,
अबहिन तक रहेओ कहां लगी डपट फटकार,
लगी डपट फटकार ,फ़िर किहिन अदब-जुहार ,
बोले बीरबल हाल इह किहिस ''बताऊँ''हुजुर सरकार,
आज पालकी चढ़ हियाँ आयेन पहली बार ,
राहे न दीन्ही न लीन्ही कोऊ कै कई राम-जुहार ,
हमार पूछौ न बस कैसन हाल रहा हुजुर सरकार ?
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