रविवार, 12 जुलाई 2009

" सुनो ध्यान लगाय जो रहा ''बताऊँ "

"हाय-बताऊँ "


कहत कबीरा सुनो भाई साधो ,

छोड़ कमंडल लकुटिया माला ,

सुनो ध्यान लगाय जो रहा ''बताऊँ'',

दरबारे अकबरी रहा बैठा -ठाला,

मुग़ल--आज़म चढ़ तख्त बैठल उदास ,

भूला रहे सबै दरबारी लेहऊँ स्वास ,

बस अकबरै भरें -रह निस्वास ,

कहैं कहाँ हौ बीरबल जल्दी आवा पास,

जल्दी आवा पास और नाही कौनो आस,

वैद हकीम ज्ञानी ओझा गुनिया सबै हेराने,

दरबार परवेसे बीरबल तभई,

झुक-झुक किहिन हाकिम का अदब-जुहार ,

अबहिन तक रहेओ कहां लगी डपट फटकार,

लगी डपट फटकार ,फ़िर किहिन अदब-जुहार ,

बोले बीरबल हाल इह किहिस ''बताऊँ''हुजुर सरकार,

आज पालकी चढ़ हियाँ आयेन पहली बार ,

राहे दीन्ही लीन्ही कोऊ कै कई राम-जुहार ,

हमार पूछौ बस कैसन हाल रहा हुजुर सरकार ?

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[अन्तराल : अंतराल : अंतराल ]
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