बम्बयिऔ मा हम खूब रहे
न्यू योर्क म मनई एस जीए
मुल पावा सुख मरुआनेन मा ( मरुआन ,हमार गाँव ,तहसील रानीगंज ,प्रतापगढ़ यू पी )
बाकी दुनियां सब घूमि लिहे .
अमरीकन से हम खूब लड़े
चमड़ी का रंग भुलाई गयेन
करियन का सब समझाई देहे
सम्मान देहे अपनाई लिहे
वेस्ट इंडीज़ जवन सब जान्थैन
वमहूँ मा आपन माटी बा
वमहूँ मा अप्ने मनई सब
' फगुआ ' का रंग जमाई देहे
केऊ अऊर कबहु केवु मिलिन गवा
बेल्हा का 'रंग '...
शनिवार, 10 अप्रैल 2010
शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010
" हम न मरब मरिहै संसारा......."
'' फईज़ाबाद कै कबीर मना जाय वाले ''
" हम न मरब, मरिहै संसारा......." की तरह जिये वालै
अवधी भाखा कै सुनाम-धन्न महान कवी
*'रफ़ीक शादानी '*
आखिरकार संसारा छोडै गए ''
{ अज्ञात _ तिथि - माह - 1933 :: 2 - फरवरी - 2010 }
जन्म तिथि अज्ञात 1933 ईo ...
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